उन्नीस वर्षीय कशिश खुश भी है और घबराई हुई भी। खुश इसलिए कि आखिरकार उसे प्रोफेशनल डिग्री लेने के लिए पुणे जाने की अनुमति पापा-मम्मी से मिल गई है। वो बहुत खुश है क्योंकि ये उसका सपना है, वो अपनी दक्षता, अपनी क्रिएटिविटी दुनिया को बता देना चाहती है।
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